पत्थर जैसा दिल बना हो जिसका
पत्थर जैसा दिल बना हो जिसका,
वह यौवन दिल की भाषा क्या जाने।
रस विहीन ह्रदय हो जिस व्यक्ति का,
वह प्रेम प्यार की परिभाषा क्या जाने।
जीवन रहा सदैव शुष्क जिसका,
वह मधु मास की परिभाषा क्या जाने।
जीवन में रही सदैव निराशा जिसके,
वह आशा की किरणों को क्या जाने।
अंधकार मय जीवन रहा पूरा जिसका,
वह सूरज की किरणों को क्या जाने।
मिला नही जीवन में कही प्यार जिसको,
वह प्यार की अभिलाषा क्या जाने
सोने में बीत गया पूरा जीवन जिसका,
वह सुबह की हवा का सुख क्या जाने।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम