पत्थर के सनम
जिनसे करते है हम बेइंतहा मुहोबत ,
वो हमारी मुहोबत की कद्र करते नहीं ।
दिल दिया , ले लिया और तोड़ दिया ,
दिल को खिलोने के सिवा कुछ समझते नही ।
यह दौलत के पुजारी होते होंगे यकीनन ,
तभी इनके वजूद में दीन ओ ईमान नहीं ।
इनको बेवफा भी कहना गलत होगा ,
क्योंकि ऐसे लोग किसी से भी वफ़ा करते नही ।
फिर क्या कहें इनको संगदिल ही न !,
हकीकत में यह पत्थर के सिवा कुछ भी नहीं।