पत्थर का सफ़ीना भी, तैरता रहेगा अगर,
पत्थर का सफ़ीना भी, तैरता रहेगा अगर,
तैरने के फलसफे को, दुरुस्त रखा जाये।
मुनासिब है, ऊंचाइयों पर जाकर रुके कोई,
उड़ने का हुनर अगर, बाज से सीखा जाये ।
कोई हुनर में तब तलक कैसे, माहिर हो,
पूरी सिद्दत से जब तलक ना, सीखा जाये।
“नील पदम् ”