पति-पत्नी की नोक-झोक
पति-पत्नी की नोक-झोक
एक बार पति व पत्नी में हो गया झगड़ा भारी I
भारी भीड़ मची मौके पर, जुड़े खूब नर-नारी II
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सुलझाया कोई न झगड़ा आगे और बढ़ाया I
उकसाया पति जी को कुछ ने पत्नी को भड़काया II
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‘कौशल’ को भी पता चला तो वो भी मौका पहुंचे I
मिया और बीबी के झगडे में कोई क्यों चुके II
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समझाया दोनों को लेकिन कोई समझ न पाया I
इक दूजे पर दोष लगाया अपना दोष छुपाया II
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बात तलाक लेने तक पहुंची पञ्च प्रधान भी आये I
कुछ तो पति जी के गुण गाये कुछ पत्नी के गाये II
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पति बोले पत्नी से, दिक्कत है लो अभी तलाक I
रोज-रोज का टंटा टूटे, कर दो मुझे हलाक II
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मुझको भी तो चैन मिले, तुम भी स्वतंत्र रह पाओ I
बंधन से मुक्ति तुम पाओ, बैठे-बैठे खाओ II
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क्या मजाक माना है मिस्टर, क्या तलाक आसान I
सीधे-सीधे न जाउंगी, ले लुंगी मैं जान II
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प्रॉपर्टी में हिस्सा लुंगी, करूँ दहेज़ मुकदमा I
चक्कर काटो कोर्ट कचेहरी, लगेगा तुमको सदमा II
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कोर्ट-कचेहरी थाना शासन, महिला के सहयोगी I
पुरुष वर्ग की सुने न कोई, हालत बने वियोगी II
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अच्छा है घर-द्वार छोड़, बन जाओ योगी जोगी I
या फिर कोर्ट-कचेहरी थाना के बन जाओ रोगी II
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यह सुन पति जी बोले, सुन लो, कान खोलकर बीबी I
तन-मन-धन बर्बाद करोगी, बढ़ेगी खूब गरीबी II
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मेरा पार नही पाओगी कोर्ट- कचेहरी चक्कर I
फक्कड़ बन जाओगी किन्तु ले सको न मेरा टक्कर II
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अगर जीत जाऊँगा मैं फिर करूँ दूसरी शादी I
तुम जीतो या हारो आखिर है होगी ही बर्बादी II
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बीबी बोली हुए सयाने अब न बनो दीवाना I
एल.एल.बी.(LLB) होकर भी तुमने क्यों कानून न जाना II
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हारोगे होगा जुरमाना चले न कोई बहाना I
फिर अपना घर न ही थाना, होगा जेल ठिकाना II
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फिर भी यदि तुम न सुधरे तो मरुँ लगा के फांसी I
फस जाओगे 302 में, जेल आजीवन हांसी II
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मर जाओगे जेल के अन्दर सफल हो मेरा खेल I
जब तक पढ़ती पास न होती, अब न हूंगी फेल II
हर हाल में मुस्कुराएँ
बीबी से मत टकराएँ.
” कौशल “