पतिंगे का प्यार
नन्हां सा दिया देख उमड़ता प्यार है पतिंगे का, जलते हुये दिये पे जां निसार है पतिंगे का।
छड़िक सुख की खा़तिर
सब कुछ विसार देता है,
ग़म पास आते देख
दामन पसार देता है,
हर पल समा को इन्तजार है पतिंगे का।
जलते हुये……………………….।
इंसान भी कुछ इस कदर हीं
बेहाल रहता है,
नश्वर सुख को पाकर भी
खुशहाल रहता है,
समा के इर्द गिर्द जीवन विस्तार है पतिंगे का ।
जलते हुये…………………।
परवाह न रहता उसको
खुद के जल जाने का,
ललक सवार रहता
समा के पास जाने का,
समा की रोशनी ही संसार है पतिंगे का।
जलते हुये…………….. .. .. ।