पता है सब हैसियत तुम्हारी
पता है सब हैसियत तुम्हारी हमें भला क्या जता रहे हो
हमीं ने बैठाया है सदन में हमीं को आँखें दिखा रहे हो
जो कल तलक थे अज़ीज़ दिल के उन्हीं से दामन छुड़ा रहे हो
मिले हो जाकर के दुश्मनों से ये कैसी यारी निभा रहे हो
रईस हो पर हो चोर तुम भी यकीं न हो तो सबूत ले लो
लगा के एसी घरों में अपने हवाएं ठंडी चुरा रहे हो
पहुँच के खुश हो बुलंदियों पर है लाजिमी पर यकीन कर लो
यहीं पे खतरा है सबसे ज्यादा जहाँ पे तुम मुस्कुरा रहे हो
चूका के कीमत लहू से अपनी जो तुमको आजादी दे गया है
ऐ गोडसे के महान भक्तों उसी को कातिल बता रहे हो
जो भर रहे हैं तिजोरी अपनी लहू गरीबों का बेचकर के
दलील देकर के बेतुकी सी उन्हें ही संजय बचा रहे हो