पतझड़ का न्योता
पेड़ से टूटा
जमीन पर गिरा
किसी ने हाथ आगे बढ़ाकर
उठा लिया तो
किसी के पांवों तले
बेदर्दी से कुचला गया
कभी खुद से तो
कभी हवा के एक तेज
झोंके से या
बारिश के पानी की बौछार से
या भयानक आंधी में नहीं टूटता तो
तोड़ लिया जाता हूं
समय से पहले ही
मंदिर में चढ़ाया जाता हूं
किसी के स्वागत के काम
आता हूं
किसी के बालों में
गजरे के
फूलों के आभूषण सा
सजाया जाता हूं
किसी के द्वार पर रंगोली
का रूप धर जमीन पर
लेट जाता हूं
मुझे दर्द देकर
यह दुनिया कैसे
प्रसन्नता का अनुभव
कर लेती है
यह मेरे जेहन की
छोटी सी समझ के परे की
बात है
भगवान का प्रसाद ग्रहण
करने के लिए
कोई मूर्ति को तोड़ता है या
मंदिर को किसी भी प्रकार की
क्षति पहुंचाता है
एक को तोड़ा
दूसरे को जोड़ा
यह जोड़ना तो किसी के
दिल तोड़ने जैसा है
यह सिलसिला तो कहीं
अवश्य ही रुकना चाहिए
यह कृत्य तो बहारों के
मौसम में भी
पतझड़ का न्योता
बिन बुलाये मेहमान के लाने
जैसा है।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001