पतझड़(एक बेहतरीन कविता)
पतझड़ (कविता)
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आया है तू फिजां में
फागुन की धूल उड़ाने
खेतों में लगे , गेहूँ को
स्वर्णिम-सा पकाने
नायिकाओं के कपोलों में
गुलाल को लगाने
अपने सरसराहट से
अलस को जगाने
तेरे आने के बाद ही
महुए में सुगंध आती है
रसाल भी टहनियों में
खूबसूरत मंजरियाँ खिलाता है
बदलाव की हुँकार है तू
बसंती बयार की पुकार है तू
प्रकृति प्रेमी कहते हैं
तू है तो ,सब सजते हैं ।।
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नेतलाल यादव ।
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उत्क्रमित उच्च विद्यालय शहरपुरा जमुआ गिरिडीह झारखंड