पतझार में भी हमको मधुमास दे गया वो
पतझार में भी हमको मधुमास दे गया वो
बदलेंगे फिर ये मौसम आभास दे गया वो
अब आँख से हमारी बहते नहीं हैं आँसू
इस बार गम हमें यूँ कुछ ख़ास दे गया वो
वैसे तो प्यार देकर वो भर गया समन्दर
पर अनबुझी सी हमको इक प्यास दे गया वो
हमको किसी ख़ज़ाने से कम नहीं लगे हैं
जो प्यार के सुकोमल अहसास दे गया वो
अब इंतज़ार में ही जीवन गुज़ार देंगे
मिलने की ‘अर्चना’को इक आस दे गया वो
डॉ अर्चना गुप्ता