पतंग
मुर्शिद हमारी पतंग कट गई बादल के गांव में
मुर्शिद पतंग बह के गिरी है मेरे ही पांव में
~ सिद्धार्थ
फलक को छू ले पतंग कागजी
मांझे को जरा सा ढील दीजिए
अभी दिन कहां ढला सुरूर वाला
कागजी तितलियों को पर दीजिए
बहुत दूर तक जाना है पतंग को
डोर से सत्तू नमक बांध दीजिए
~ सिद्धार्थ
हौसलों की पतंग है मांझा है उम्मीद की
तारे लूट कर लाएगा आसमां देखेगा …?
~ सिद्धार्थ