पतंग
मुस्कुराती पतंग
बलखाती, इठलाती
आसमान की ऊंचाई
को स्पर्श करती
अंजाम से अज्ञान
अबोध बनी मुसलसल
मचल रही।
चाहे अनचाहे
हमे जीवन का पावन
संदेश दे रही है
निष्काम भाव से हमे
जीवन जीने का
सार्वभौमिक
उद्घोष कर रही है।
कदापि वह
जीवन की अर्थहीनता
तबियत से है जानती
कभी अनंत आकाश
की गहराइयों को
सहर्ष नापती
कभी बादलों के
स्वभाव को भापती
ओंस बिंदुओं से
करती साक्षात्कार
कभी कट कर जलाशय
नदी व सागर का
बनती शिकार।
फिर भी अपनी यात्रा
निरंतर जारी
रखती है
निर्मोही जीवन के
सार को समझाती
जीवन के गहन अर्थ
को बताती
पतंग हममें आसक्ति से
दूर अनासक्ति का
भाव करती तिरोहित
मोक्ष को करती प्रेरित
निर्मेष पतंग
जीवन से हमारा
है मोहभंग करती
इस असार संसार
की सारता के बारे में
हमको बताती
इस सत्य को धारण
करने का संदेश देती है
हां सत्य है पतंग
हमे एक नये प्रयोग
से भिज्ञ करती है।
निर्मेष