पढो वरना अनपढ कहलाओगे
पढो वरना अनपढ कहलाओगे
लिखो वरना निरक्षर समझे जाओगे।
बोलो वरना गूंगे बतलाए जाओगे।
सोचो वरना बुद्धिहीन हो।
दिखो वरना दुबले महीन हो।।
विन्ध्य प्रकाश मिश्र ‘विप्र’
पढो वरना अनपढ कहलाओगे
लिखो वरना निरक्षर समझे जाओगे।
बोलो वरना गूंगे बतलाए जाओगे।
सोचो वरना बुद्धिहीन हो।
दिखो वरना दुबले महीन हो।।
विन्ध्य प्रकाश मिश्र ‘विप्र’