पढाव
नि:शब्द
आता है
एक समय
ऐसा जीवन मे
असहाय सा महसूस
करता है इन्सान
तभी
अदृश्य शक्ति
देती है प्रेरणा
जियो,
खुल कर जियो,
मस्ती से जियो
तभी तलक ,
जब तलक
खुली हैं आंखे
फिर
एकदम शान्त,
नि:शब्द इन्सान
आखिरी यात्रा
अंतिम पढाव
ऐसे, जैसे
कुछ था ही नही
जीवन में
बस यही
कहानी होती है
मेरे दोस्त
इस जिन्दगी की