पढ़े लिखे खाली घूमे,अनपढ़ करे राज (हास्य व्यंग)
सहमा सहमा घूम रहा,युवक है आज।
पढ़े लिखे खाली घूमे,अनपढ़ करे राज।।
कौन पूछता योग्यता,सोर्स हैं हर आधार।
सोर्स वाला सफल है बाकी सब बेकार।।
गूंगे गावे,बहरे ताल लगावे है आज।
अंधा गवाही देत है,न्यायलय में आज।।
हंस चुगे है दाना दुनका,कौवे मोती खाते।
जिनके पास कुर्सी है,वे ही हलवा खाते।।
पैसा हो अब गया है,अच्छे संबंधों की माप।
ईमानदारी से काम करोगे,भूखे मरेंगे आप।।
दान दहेज बन गया,अच्छी शादी का प्रमाण।
जिसके पास पैसा है,उसके पास है कमान।।
न्याय अब बिक रहा है,सरे आम बाज़ार।
न्यायलय अब बन गए,झूठो के दरबार।।
मगंगाई बढ़ गई,छू रही है आस्मां आज।
पेट्रोल से ज्यादा महंगे है आलू व प्याज।।
सास ससुर काम करे है,बहु करती राज।
बेटी मायके में रहती है,काम करे न काज।।
अच्छे दिन कब आयेंगे,पूछ रहे सब आज।
बुरे दिनो को अच्छा समझो,तुम सब आज।।
रस्तोगी क्या लिखे अपने सच्चे नए विचार।
सच्चे विचारो का पड़ता है आज है अचार।।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम