***पढ़ाई बस ऐसी हो***गजल /गीतिका
व्यापार चाहे अपना बड़ा कीजिए।
नफरतों का बाजार न खड़ा कीजिए।
गुजर बसर होता रहे सबका अपना,
दखल किसी के कार्य में ना दिया कीजिए।।
बैठे हैं एक ही गली मोहल्ले में हम सारे।
सहारा जरूरतमंदों को दिया कीजिए।।
पढ़ाई बस ऐसी हो, न मजहब की लड़ाई हो,
पाठ नित्य सुबह-शाम यहीं पड़ा कीजिए।।
हे सब हम इंसान, सबके अपने अरमान।
किसी के अरमानों पर, चोट न किया कीजिए।।
चले जाएंगे छोड़कर चार दिन की जिंदगी हम।
सुख-दुख एक दूजे के बांट लिया कीजिए।।
चाहत तो यही है अनुनय मेरी अपनी।
मेरी चाहत को जरा साथ अपना भी दिया कीजिए।।
राजेश व्यास अनुनय