पढ़ाई का महत्व
“पापा मैं पढ़ना चाहता हूँ ”
मयंक ने कहा ।
रामदास ने कहा :
” बेटा जूतों पर पालिश करना और जूते चप्पल सुधारना अपना पुश्तैनी काम है इसी को आगे बढ़ाना है ”
मयंक ने कहा :
” पापा आप ऐसा क्यों कहते है हमारे राष्ट्रपति अब्दुल कलाम जी ने भी तो घर घर पेपर बांट कर अपनी पढ़ाई की थी हमारे प्रधान मंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी ने भी गरीबी में नदी पार करके स्कूल जा कर पढ़ाई की थी , मै भी आपके साथ काम करते करते पढ़ना चाहता हूँ ।”
वो सब ठीक है बेटा पर मैरे पास इतने पैसे नहीं हैं किसी तरह घर खर्च चल रहा है बस ।
रामदास की दुकान पर सुरेश आता थे वह एक सरकारी स्कूल में अध्यापक थे । रामदास ने अपने बेटे के मन की बात बताई ।
सुरेश बहुत खुश हो गये और अगले दिन उसे स्कूल ले जा कर प्रवेश दिलवा दिया ।
अब मयंक को स्कूल से कापी किताबें सब मिलने लगी ।
अब मयंक का समय दुकान पर गुजरने लगा ।
रामदास जब दुकान पर काम करता तब मयंक अपनी पढ़ाई करता । मयंक था तो होशियार इसलिए हर विषय में वह प्रथम आता ।
अब रामदास की दुकान के सामने से जो भी लोग निकलते उनके लिए मयंक उदाहरण बन गया ।
सब उसकी तारीफ़ करते और जीवन में पढ़ाई का महत्व समझते हुए अपने बच्चों को भी पढ़ाई के लिए प्रेरित करते ।
स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल