पढ़ना जरूर
एहसास हुँ मैं तो फकत अपने एहसास लिखता हुँ…
मैने कब कहा था कि मैं भी कुछ खास लिखता हुँ…
बे-मतलब बे-तरतीब से ही कुछ अल्फाज लिखता हुँ…
लोगों के दिलों में दबी कई उम्मीद ए खास लिखता हुँ…
मुझे आलिंगन दो अपना तन दो मैं तो ये नहीं कहता हूँ…
प्यार से प्यारे अपने पल दो मैं बस इतना ही चाहता हूँ…
हर किसी को जीने की एक नई वजह ओ इश्क देता हूँ…
मेरे लफजों में खुद को ढूंड सके मैं ऐसे अल्फाज देता हूँ…
जो हार बैठे हैं खुद ही खुद के संगदिल हालातों के चलते…
उन्हे फिर से ज़िन्दगी को जीने का एक एहसास देता हूँ…
क्या हुआ जो वो अपने हो कर भी नहीं हो सके तुम्हारे…
उनके लिए अपने अल्फाजों में एक अपनापन लिखता हुँ…
चाहत यही है कि ये हमराज सभी के दिल के अन्दर हो…
आज एक दरीया ए उल्फत कल एक इश्क ओ समुन्दर हो…
बस इतना सा ही तो सबका दर्द और मरहम साथ लिखता हुँ…
एहसास हुँ मैं तो फ़कत अपनों के लिए अपने एहसास लिखता हुँ…