पड़ने लगा अकाल
गल जाती है झूठ की, अब तो पल में दाल ।
सच्चाई का इस कदर, पड़ने लगा अकाल ।।
बाबुल का ये कर्म ही करता उसे महान ।
बेटी का निज हाथ से, करना कन्यादान ।।
रमेश शर्मा.
गल जाती है झूठ की, अब तो पल में दाल ।
सच्चाई का इस कदर, पड़ने लगा अकाल ।।
बाबुल का ये कर्म ही करता उसे महान ।
बेटी का निज हाथ से, करना कन्यादान ।।
रमेश शर्मा.