“पठान” के जरिए किंग खान के साथ बॉलीवुड की दमदार वापसी
“पठान” फिल्म रिलीज हो चुकी है और इसके जरिए शाहरुख खान ना सिर्फ़ बड़े पर्दे पर दमदार वापसी कर रहे हैं. बल्कि बॉलीवुड को लेकर जो हाल के कुछ वर्षों में तरह – तरह के सवाल खड़े हो रहे थे उनपर ये फिल्म विराम लगाने में हदतक क़ामयाब भी हो चुकी है। पठान फिल्म ना सिर्फ़ दर्शकों को पसंद आ रही है बल्कि ये दिन प्रति दिन कई रिकॉर्डों को तोड़ भी रही है और नए रिकार्ड भी कायम कर रही है। क्योंकि बॉलीवुड को लेकर कहा जाने लगे था कि इसका भाग्य रसातल के ओर है। ऐसे सवाल इसलिए खड़े हो रहे थे क्योंकि एक ओर जहाँ बॉलीवुड की अच्छी सी अच्छी मूवी फ्लॉप हो रही थी। वही दूसरी ओर तेलुगू की मूवी बॉक्स ऑफिस पर धमाल मचा रही थी।
पठान फिल्म को देखते हुए जो सिनेमाघरों से बड़ी मात्रा में विजुअल आ रहे हैं वो और भी अभूतपूर्व,और अतुलनीय है। शायद हमनें तो इतनी बड़ी मात्रा में फ़िल्मों को देखने के दिवानगी के प्रति सोशल नेटवर्किंग साइटों पर कभी वीडियो नहीं देखे थे। जहां ना सिर्फ़ दर्शक फिल्म को इन्जॉय कर रहे हैं बल्कि गानों पर अपने आप को थिरकते भी नजर आ रहे हैं। जिसमें बच्चे,जवान,बुढ़े सभी शामिल हैं। सबसे बड़ी बात ये है कि फिल्म के ख़त्म होने के बाद भी दर्शक अपने आप को सिनेमाघरों से बाहर नहीं जाते नहीं दिखते हैं। जबकि अमूमन ऐसा देखा जाता है फिल्म के अंत होने से चंद मिनटों पहले दर्शक सिनेमाघरों से बाहर जाने लगते हैं।
जब आज हम कुछ साथी मिलकर पठान फिल्म देखने गए थे तो देखा लंबे अर्से बाद सिनेमाघरों का नज़ारा बदला हुआ है। जहां दर्शकों की ख़ासी भीड़ फिल्म को देखने के लिए आ रही है। जिसको लेकर दर्शकों को टिकटों के लिए संघर्षों का सामना भी करना पड़ रहा है। कोई ऑनलाइन टिकट की बुकिंग कर फिल्म देखने पहुँचे थे तो कई सिनेमाघरों के बाहर किसी तरह से टिकट पाने के लिए जद्दोजहद कर रहे थे। सिनेमाघरों के बाहर रौनक ऐसी मानों कोई त्योहार हो। दर्शक पूरी तरह से अपने आप को तरोताजा और तैयार होकर आए थे.अपने पसंदीदा किंग खान की फिल्म देखने को। ये हाल था मॉर्निंग शो का जहां शाहरुख खान,सलमान खान के फैंस का क्रेज सिर चढ़कर बोल रहा था।
फिल्म की कहानी –
फिल्म की कहानी शुरू होती है भारत सरकार के तरफ से जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने से। जिसको लेकर पाकिस्तानी सेना पूरी तिलमिला जाती है और वो इसको लेकर इन्डिया को सबक सिखाना चाहती है। जिसका जिम्मा सौंपा जाता है फ़िल्म के विलेन को यानी जॉन अब्राहम को जिसको मूवी में जिम के नाम से जाना जाता है। जो कभी जांबाज भारतीय जासूस था वो अब पूरी तरह से बागी हो चुका है। जॉन अब्राहम फिल्म के शुरुआत में ही एक डॉयलाग मारते है “गोली एक बार निकल गई तो बंदूक में वापस नहीं जाती”।जिनका एक ही मकसद भारत को बर्बाद करना होता है। जिनके लिए वो कई देशों के जासूसों को अपने टेरर ऑर्गनाइजेशन में शामिल किया हुआ है। जिसके नापाक मंसूबों को कोई रोक सकता है तो वो है भारतीय एजेंट “पठान” (शाहरुख खान)। जिम तक पहुंचने में पठान की मुलाकात आईएसआई एजेंट डॉक्टर रुबीना मोहसिन (दीपिका पादुकोण) से होती है। चूंकि जासूसी थ्रिलर फिल्म का आधार कोई ना कोई मिशन ही होता है।
फिल्म की कहानी आगे बढ़ती है जहां सभी का मकसद रक्तबीज को हासिल करना होता है। जो एक तरह का केमिकल हथियार होता है। जिसको जिम भारत में फैलाकर देश को बर्बाद करना चाहता है। जिसको हासिल करने के लिए जिम पहले रुबीना का सहारे लेते हैं क्योंकि वो जानते हैं कि इसको पठान आसानी से हासिल कर सकता है। जो शुरुआत में रुबीना के जरिए पठान को फंसा लेते हैं। जिम के नापाक मंसूबों को किस तरह से पठान असफल करता है उसी के इर्द-गिर्द फ़िल्म की कहानी घूमती है। जिसको ट्विस्ट बनाने के लिए कहानी टर्न के साथ गढ़ी गई है। सिद्धार्थ आनंद जो कि बैंग बैंग,वार जैसी एक्शन फिल्में बना चुके हैं। इसने अपने निर्देशन के साथ पठान की कहानी लिखी है। यहां पर भी उन्होंने एक्शन पर पकड़ बनाए रखी है। जिसमें हेलीकॉप्टर,बंदूक,तोप,हैंड टू हैंड फाइट,बर्फ पर बाइक के चेंजिंग के दृश्यों के जरिए रोमांचक एक्शन को गढ़ा गया है। फिल्म को मसालेदार बनाने के लिए उन्होंने एक्शन के साथ गाने और रोमांस को शामिल रखा है।
पूरे फिल्म में पठान पर हावी जिम-
जॉन अब्राहम जब भी यशराज फिल्म्स के साथ आए हैं कुछ खास ही कर जाते हैं। इसको को इस फिल्म में भी इसने बरकरार रखा है। जॉन अब्राहम इस फिल्म में जिम की भूमिका में है जो पूरी फिल्म में पठान पर हावी रहते हैं। जो अंतिम समय तक पठान को चकमा देते रहते हैं। लेकिन कहते हैं ना विलेन को तो एक दिन निपटारे का सामना करना ही होता है। वही होता है पठान के हाथों जिम का निपटारा हो जाता है। लेकिन पूरे फिल्म में पठान और जिम के बीच एक्शन भरपूर देखने को मिलता है।
दीपिका का एक्शन से रोमांस तक में धमाल-
दीपिका पादुकोण जो फिल्म में आईएसआई एजेंट डॉ रुबीना मोहसिन के किरदार को निभा रही है। जिसमें इन्होंने किरदार को बखूबी जिया है। दीपिका पादुकोण एक्शन से लेकर रोमांस तक में धमाल मचाया है। जिन्होंने बार – बार साबित किया है कि उनके अंदर एक अच्छी अभिनेत्री के सारे गुण विद्यमान हैं। जो पूरे फिल्म में सीक्वेंस के हिसाब से अपने आप को ढालने में क़ामयाब रही है। जिनके गाने पहले ही पॉपुलर हो चुके थे और विवादों का भी सामना करना पड़ा था। इस मूवी में आशुतोष राणा और डिम्पल कपाड़िया ने भी किरदार को अच्छे से जिया है।
सलमान की मौजूदगी फिल्म को और मजबूती देता है –
फिल्म में टाइगर यानी कि सलमान खान की 20 मिनट की एंट्री फिल्म को अलग ही लेवल पर ले जाती है। जो धीमी पड़ी फिल्म के रफ्तार को फिर से तेज कर जाती है। जिसे दर्शक ख़ासा पसंद कर रहे हैं। शाहरुख और सलमान की एक्शन और जुगलबंदी फिल्म में देखने लायक हैं। एंट्री के लिए जो वक़्त चुना गया है वो और भी मजेदार है। जहां शाहरुख दुश्मनों से घिरे होतें हैं और उसे मदद की सख्त जरूरत होती हैं। यहाँ भाईजान साथ में पेनकिलर भी लेकर आते हैं। टाइगर ना सिर्फ़ पठान की मदद करते हैं बल्कि गुदगुदाते भी हैं और साथ ही वो पठान से वादा ले जाते हैं कि आगे टाइगर को पठान की जरूरत पड़ने वाली है। इसलिए उनका जिंदा रहना जरूरी है जो उस ओर इशारा करती है कि टाइगर 3 में सलमान के साथ पठान (शाहरुख) भी नजर आने वाले हैं।
फिल्म की कमज़ोर कड़ी –
फिल्म की कहानी मिशन से शुरू होती है और मिशन पर ही खत्म हो जाती है। वही पूरे फिल्म में विलेन जॉन अब्राहम को बहुत ही मजबूत दिखा दिया गया है.जो अंत तक किसी भी हिसाब से कमजोर नहीं दिखते हैं। जो पूरी तरह से शाहरुख यानी पठान पर हावी रहते हैं। जिसे अंत में पठान आसानी से यूँ ही गिरा देते हैं।जो थोड़ा अटपटा सा लगता है।फिल्म में गानों की भी कमी खलती है। वही पूरे फिल्म में सिर्फ़ एक गाना है बेशरम रंग वही एक फ़िल्मों के अंत में हैं। जिसपर दर्शक थिरक कर फिल्मों का एक अच्छा अंत कर पाते हैं।
फिल्म क्यों देखें –
इन सब चीजों के वाबजूद पठान फिल्म बहुत ही शानदार और जानदार है। जिसमें देशभक्ति क्या होती है उनकी परिभाषा गढ़ी गई हैं। पठान ने बखूबी बताया भी है कि देशभक्त होना क्या होता है और कैसे अपने देश के प्रति वफादार रहा जाता है। फिल्म में सभी ने अपने किरदार को बखूबी अच्छे से जिया है। सबसे बड़ी बात ये है कि ये एक्शन सीक्वेंस से पूरी तरह से लबरेज़ फिल्म है। बॉलीवुड में ऐसा कम ही देखने को मिलता है। जो आपको कभी भी निराश नहीं करेगा।
अब्दुल रकीब नोमानी
छात्र पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग मानू (हैदराबाद)