Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 May 2018 · 2 min read

पछतावा

लघुकथा

?पछतावा ?

आज साहूकार रामधन व भोलाराम पक्के मित्र हैं।जरूरतमंदों की मदद व गरीबों से ब्याज न लेना अब रामधन अपना धर्म मानता है।

किसी समय धूर्तता के लिए मशहूर साहूकार रामधन ने गरीब किसान भोलाराम की जमीन बरसों से गिरवी रखी थी। भोला को उसने कर्ज दे-दे कर मय ब्याज उसकी रकम बढ़ाकर उधार देना बंद कर दिया। दो माह पहले भोला का इकलौता बेटा बुखार से तप रहा था। हजार मिन्नतों के बाद भी साहूकार ने पैसे न दिए । साहूकार की पत्नी उसके इस बर्ताव से बहुत दुखी थी। उसने भी कहा- “रामधन को कुछ पैसे दे दो” परन्तु रामधन ने पत्नी की एक न सुनी। इलाज के अभाव में भोला का इकलौता बेटा चल बसा।

परसों तेज आंधी व बारिश हो रही थी।साहूकार का बेटा बुखार से तप रहा था। उसे अविलंब शहर के अस्पताल में भर्ती कराना जरूरी था। साहूकार की गाड़ी एकाएक खराब हो गई।गांव में कोई मैकेनिक नहीं था। सब लोग साहूकार के दुर्व्यवहार से नाराज थे।अतः किसी ने मदद नहीं की।
संयोगवश भोला बैलगाड़ी दौड़ाता हुआ तेजी से आ रहा था। साहूकारों ने उसे न पहचाना। सड़क पर बैलगाड़ी के आगे हाथ जोड़ विनती करता बोला – “मेरे बच्चे को शहर ले चलो। तुम्हारे पांव पडूं।”
भोला ने बैलगाड़ी रोककर अविलंब रामधन व उसकी पत्नी के साथ बच्चे को अपनी बैलगाड़ी में शहर के अस्पताल में ले गया। डॉक्टर्स ने जांच कर तुरंत इलाज शुरू करके कहा – “बच्चे को गंभीर निमोनिया है। यदि थोड़ा देर हो जाती तो यह रास्ते में ही दम तोड़ देता।”
रामधन रो पड़ा और भोला के पैरों में गिरकर अपने किए की माफी मांगने लगा। भोला ने बस इतना कहा- ” साहूकार जी यदि पछतावा है तो कृपया मुझ जैसे सभी गरीबों को देनदारी से मुक्त कर दो।”

रंजना माथुर
जयपुर (राजस्थान)
मेरी स्व रचित व मौलिक रचना
©

Language: Hindi
475 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
आसमां का वजूद यूं जमीं से है,
आसमां का वजूद यूं जमीं से है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
गजल सगीर
गजल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
ग़ज़ल की नक़ल नहीं है तेवरी + रमेशराज
ग़ज़ल की नक़ल नहीं है तेवरी + रमेशराज
कवि रमेशराज
🙅एक सलाह🙅
🙅एक सलाह🙅
*प्रणय प्रभात*
पुस्तक तो पुस्तक रहा, पाठक हुए महान।
पुस्तक तो पुस्तक रहा, पाठक हुए महान।
Manoj Mahato
सौन्दर्य के मक़बूल, इश्क़! तुम क्या जानो प्रिय ?
सौन्दर्य के मक़बूल, इश्क़! तुम क्या जानो प्रिय ?
Varun Singh Gautam
बिगड़ी छोटी-छोटी सी बात है...
बिगड़ी छोटी-छोटी सी बात है...
Ajit Kumar "Karn"
दूर कहीं जब मीत पुकारे
दूर कहीं जब मीत पुकारे
Mahesh Tiwari 'Ayan'
अपनी इस तक़दीर पर हरपल भरोसा न करो ।
अपनी इस तक़दीर पर हरपल भरोसा न करो ।
Phool gufran
* मुस्कुराना *
* मुस्कुराना *
surenderpal vaidya
समय
समय
Paras Nath Jha
माॅं के पावन कदम
माॅं के पावन कदम
Harminder Kaur
3567.💐 *पूर्णिका* 💐
3567.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
दिल
दिल
इंजी. संजय श्रीवास्तव
"खुदा रूठे तो"
Dr. Kishan tandon kranti
बंधन
बंधन
krishna waghmare , कवि,लेखक,पेंटर
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
लड़की की जिंदगी/ कन्या भूर्ण हत्या
लड़की की जिंदगी/ कन्या भूर्ण हत्या
Raazzz Kumar (Reyansh)
फागुन की अंगड़ाई
फागुन की अंगड़ाई
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
कितना दर्द सिमट कर।
कितना दर्द सिमट कर।
Taj Mohammad
तू अपने आप पे इतना गुरूर मत कर,
तू अपने आप पे इतना गुरूर मत कर,
Dr. Man Mohan Krishna
वसंत पंचमी
वसंत पंचमी
Dr. Upasana Pandey
इन्सानियत
इन्सानियत
Bodhisatva kastooriya
दिन सुखद सुहाने आएंगे...
दिन सुखद सुहाने आएंगे...
डॉ.सीमा अग्रवाल
ज़िन्दगी,
ज़िन्दगी,
Santosh Shrivastava
मानव के बस में नहीं, पतझड़  या  मधुमास ।
मानव के बस में नहीं, पतझड़ या मधुमास ।
sushil sarna
रिश्ते और तहज़ीब
रिश्ते और तहज़ीब
पूर्वार्थ
❤️एक अबोध बालक ❤️
❤️एक अबोध बालक ❤️
DR ARUN KUMAR SHASTRI
हनुमान बनना चाहूॅंगा
हनुमान बनना चाहूॅंगा
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
*खर्चा करके खुद किया ,अपना ही सम्मान (हास्य कुंडलिया )*
*खर्चा करके खुद किया ,अपना ही सम्मान (हास्य कुंडलिया )*
Ravi Prakash
Loading...