*पचपन का तन बचपन का मन, कैसे उमर बताएँ【हिंदी गजल 】*
पचपन का तन बचपन का मन, कैसे उमर बताएँ【हिंदी गजल 】
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(1)
पचपन का तन बचपन का मन, कैसे उमर बताएँ
मस्ती मिली ध्यान की ऐसी, बच्चे बन-बन जाएँ
(2)
क्या करना है चिन्ता करके, क्या खोना क्या पाना
मिला हमें जो चलो उसी में, खुशियाँ खूब मनाएँ
(3)
उसके पास अगर है हमसे, ज्यादा तो क्या करना
ईश्वर ने जो हमें दिया है, वह आभार जताएँ
(4)
अगर जरूरत से ज्यादा भी, मिल जाए तो मुश्किल
इस आफत से सदा-सर्वदा, ईश्वर हमें बचाएँ
(5)
खुश रहने का एक मंत्र है, सब को सब कुछ दे दें
और नहीं बदले में मन में, हों किंचित इच्छाऍं
(6)
बोझ समूचा अहंकार का, यह जो हम हैं ढोते
इसे हटा दें तो फूलों से, हल्के हम कहलाएँ
(7)
नशा एक आने लगता है, जब भी प्रभु तुम आते
आओ चलें साथ में हम-तुम, थोड़ा समय बिताएँ
(8)
लोग पूछते हैं क्या हमने, ध्यान-योग में पाया
यह किताब थोड़े ही है जो, उनको भी पढ़वाएँ
(9)
चार दिनों का मेला जग में, खुशी और गम आते
चार दिनों के हम-तुम साथी, आपस में बतियाएँ
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर( उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 999761 5451