Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Feb 2024 · 1 min read

पग मेरे नित चलते जाते।

पग मेरे नित चलते जाते।

बचपन गाता जैसे मधुकर
सुन्दर, सुखकर खुशियाँ भरकर,
जीवन की अविरल धारा में बेसुध हो हम बहते जाते
पग मेरे नित चलते जाते।

यौवन आया ले स्वर्ण – जाल
झूमे तरुवर जैसे विशाल,
उम्मीद लिए दो-नयनों के लघु दीप सदा जलते जाते
पग मेरे नित चलते जाते।

मधुरस रीता है खड़ी जरा
मन क्लांत, विकल, असमर्थ, डरा,
ढ़ल गई उम्र जैसे नभ के तारे अगणित ढ़लते जाते
पग मेरे नित चलते जाते।

है अंत सभी का मरघट पर
गंगा, यमुना, सरयू तट पर,
खुद को दिखला पर स्वप्नलोक जीवन भर हम छलते जाते।
पग मेरे नित चलते जाते।

अनिल मिश्र प्रहरी ।

Language: Hindi
1 Like · 155 Views
Books from Anil Mishra Prahari
View all

You may also like these posts

हर एक सब का हिसाब कोंन रक्खे...
हर एक सब का हिसाब कोंन रक्खे...
डॉ. दीपक बवेजा
2531.पूर्णिका
2531.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
"मेरी जिम्मेदारी "
Pushpraj Anant
ST666 - Nhà Cái Hàng Đầu, Nạp Rút Nhanh Chóng, Giao Dịch Bảo
ST666 - Nhà Cái Hàng Đầu, Nạp Rút Nhanh Chóng, Giao Dịch Bảo
ST666
अगर भटक जाओगे राहों से, मंज़िल न पा सकोगे,
अगर भटक जाओगे राहों से, मंज़िल न पा सकोगे,
पूर्वार्थ
वज़्न -- 2122 2122 212 अर्कान - फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन बह्र का नाम - बह्रे रमल मुसद्दस महज़ूफ
वज़्न -- 2122 2122 212 अर्कान - फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन बह्र का नाम - बह्रे रमल मुसद्दस महज़ूफ
Neelam Sharma
👌दावा या धावा?👌
👌दावा या धावा?👌
*प्रणय*
जाने क्यों भाता नहीं,
जाने क्यों भाता नहीं,
sushil sarna
यू-टर्न
यू-टर्न
Shreedhar
अति व्यस्त समय में से भी....
अति व्यस्त समय में से भी....
Ajit Kumar "Karn"
वो हर रोज़ आया करती है मंदिर में इबादत करने,
वो हर रोज़ आया करती है मंदिर में इबादत करने,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
दहेज दानव
दहेज दानव
अवध किशोर 'अवधू'
स्वार्थ चाहे किसी भी प्रकार का हो, हमेशा दुखदाई होता है। अतः
स्वार्थ चाहे किसी भी प्रकार का हो, हमेशा दुखदाई होता है। अतः
गौ नंदिनी डॉ विमला महरिया मौज
निर्भय होकर जाओ माँ
निर्भय होकर जाओ माँ
manorath maharaj
जखने कथा, कविता ,संस्मरण इत्यादि अपन मुख्य धारा सँ हटि पुर्व
जखने कथा, कविता ,संस्मरण इत्यादि अपन मुख्य धारा सँ हटि पुर्व
DrLakshman Jha Parimal
सम्बोधन
सम्बोधन
NAVNEET SINGH
तथाकथित धार्मिक बोलबाला झूठ पर आधारित है
तथाकथित धार्मिक बोलबाला झूठ पर आधारित है
Mahender Singh
संदेश
संदेश
Shyam Sundar Subramanian
वक़्त को क्या
वक़्त को क्या
Dr fauzia Naseem shad
खुश रहने की कोशिश में
खुश रहने की कोशिश में
Surinder blackpen
*नई दुकान कहॉं चलती है (हिंदी गजल)*
*नई दुकान कहॉं चलती है (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
पितृ दिवस पर
पितृ दिवस पर
RAMESH SHARMA
अगलग्गी (मैथिली)
अगलग्गी (मैथिली)
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
हट जा भाल से रेखा
हट जा भाल से रेखा
Suryakant Dwivedi
"तोहफा"
Dr. Kishan tandon kranti
मुश्किलों में उम्मीद यूँ मुस्कराती है
मुश्किलों में उम्मीद यूँ मुस्कराती है
VINOD CHAUHAN
वो दिन भी क्या दिन थे
वो दिन भी क्या दिन थे
डॉ. एकान्त नेगी
चार बजे
चार बजे
Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
चौदह साल वनवासी राम का,
चौदह साल वनवासी राम का,
Dr. Man Mohan Krishna
Tum toote ho itne aik rishte ke toot jaane par
Tum toote ho itne aik rishte ke toot jaane par
HEBA
Loading...