पग बढ़ाते चलो
** गीत **
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मत रुको राह में पग बढ़ाते चलो।
देखिए मंजिलें सामने आ रही।
अब न मन में रहें,
शेष संशय कहीं।
थाम लो जय ध्वजा,
पग रुकेंगे नहीं।
छट रही है अभी धुंध थी छा रही।
देखिए मंजिलें………
स्वर विरोधी सभी,
मंद पड़ने लगे।
दोस्त बन अब सभी,
साथ चलने लगे।
वक्त की यह अदा खूब है भा रही।
देखिए मंजिलें………
यह समय का चलन,
खूब पहचान लो।
कौन अपना पराया,
सहज जान लो।
हर घड़ी रंग नव आज दिखला रही।
देखिए मंजिलें………
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य, मण्डी (हि.प्र.)