पगली
दिल की बातों की
आजमाइश नहीं होती ।
इसके लिये कोई
फरमाईश नहीं होती
आँखो ही आँखो में
जाने कितनी बातें हो जाती है
कह कर प्यार करने की
इसमें ख्वाहिश नहीं होती।
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जख्म इतना दिया जमाने ने कि
मैं हंसना भूल गयी थी
पर अब जब हंस रही हूँ
तो लोग मुझे पगली कहते हैं।