पक्षी
अब सुबह होने पर पक्षी की
कलरव सुनाई नहीं पड़ती
सूरज के स्वागत में
कोई पक्षी गीत नहीं गाती
बसंत में कोयल की कूक
बड़ी मुश्किल से सुनाई देती है
ना जाने कोई पक्षी घोंसले के लिए
कहां भटकती रहती है
प्यासी पक्षी तरस रहे हैं
पानी की तलाश में
भटक रहे हैं कोने-कोने
बुझाने अपनी प्यास वे
गर्मी से बेहाल वो
खोज रहे हैं नदी तालाब वो
सुख गई नदी तालाब अब
कैसे बुझायेंगे प्यासा अब
सुशील चौहान
फारबिसगंज अररिया बिहार