पक्षी और इंसान
देखकर हमले इंसानों पर हर पक्षी आज खुश हुआ,
कैद हो कर भी जिसका मन पहली बार आजाद हुआ,
बर्बादी से जिसको बचाने के लिए इन्होंने पक्षी को कैद किया,
आज उसी धरती को इन्होंने न चाहकर भी बर्बाद होने दिया,
टिद्दियों के जिस हमले से देश पूरा जहा भयभीत हुआ,
उस हमले को रोकने का सामर्थ्य प्रकृति ने बस पक्षियों को दिया,
जिन पक्षियों को दाना पानी देने में हिचकिचाता रहा है यह जहां,
वो जहां खुद अपने दाना पानी को बचाने में असमर्थ रहा
प्रकृति के बनाए चक्र को तोड़कर जिसने पक्षी को कैद किया,
आज उसके किए का जवाब प्रकृति ने बखूबी उसे दिया,
बनाई जिसने सृष्टि यह उसने ही हर अस्तित्व का किरदार यहां तय किया,
पर गुरूर में आकर इंसा ने इन बेजुबान किरदारों को नजरंदाज किया,
भुगत कर सजा किए की अपनी आई गलतियां याद अब उसे,
और पक्षियों को आजाद करने का काफिला ही अब बढ़ाया उसने