पक्षपात
जाने क्यों पक्षपात करते है लोग ,
मुंह देखकर तिलक लगाते है लोग ।
भाई भतीजावाद भी नाम दे सकते हैं,
इसी सोच में रचे बसे है आज के लोग ।
समाज में फैला हुआ है मानसिक रोग ,
मात्र स्वजनों को महत्व देते है लोग ।
योग्यता और कुशलता कुछ भी नहीं ,
“अपने बंदे” को ही नौकरी देते हैं लोग ।
और यदि नौकरी दे भी दें तो गनीमत है ,
अपनों की ही पदोन्नति करवाते हैं लोग ।
जिस नेता की धाक चलेगी जिस क्षेत्र में,
ऊंची पोस्ट पर होंगे उसी के रिश्ते के लोग ।
कोई सरकारी / गैर सरकारी महकमा हो ,
अपनो को हो उच्च स्थान दिलवाते है लोग ।
कला या साहित्य का भी क्षेत्र हो चाहे,
स्वजनों को ही पुरस्कार दिलवाते है लोग ।
आर्थिक लाभ भी अत्यधिक “अपनो” के लिए ,
हाथ मलते रह जाते है जरूरत मंद लोग ।
विद्यार्थी कोई चाहे होनहार नहीं भी हो ,
ऊंची पहुंच से शिक्षा लाभ पा जाते है लोग ।
प्रकृति ने नहीं सीखा कभी भेदभाव करना ,
मगर फिर क्यों इनसे शिक्षा नहीं लेते लोग ।
पक्षपात का चश्मा उतार कर अपनी आंखो से ,
क्यों निष्पक्ष जोहरी की नजर नहीं रखते लोग ।
यदि देश और समाज में यह जटिल मिट जाए ,
तभी “सबका साथ, सबका विकास ” मूल मंत्र को ,
साकार कर सकते हैं मेरे देश के लोग ।