Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
12 May 2024 · 3 min read

पंडिताइन (लघुकथा)

सब कहते हैं कि जोड़ियाँ भगवान के घर से ही बन कर आती है। पता नहीं यह कहाँ तक सत्य है। कुछ कहना बड़ा ही मुश्किल है। सच में कुछ जोड़ियों को देखकर लगता है कि सच में इस जोड़ी को भगवान ने बहुत फुर्सत में बनाया होगा और कुछ को देखकर ऐसा लगता है कि भगवान भी पता नहीं कैसी-कैसी जोड़ियाँ बना देते हैं।

आज एक अनोंखी जोड़ी की हम बात करेंगे। एक गाँव में एक पंडित और पंडिताईन रहते थे। दोनों में बहुत ही प्यार था। कहते हैं कि पंडित जी किसी काम से बाहर एक दिन के लिए भी चले जाते थे तो पंडिताईन खाना तक नहीं खाती थी और पंडिताईन एक दिन के लिए भी मैके चली जाती थी तो पंडितजी उन्हें लाने के लिए ससुराल तक चले जाते थे। इसलिए पंडित और पंडिताईन कभी बाहर जाना पसंद नहीं करते थे। ये दोनों शादी के बाद कभी भी अलग नहीं रहे। चाहे जो भी हो दोनों हमेशा साथ में ही रहते थे। इतना अधिक प्यार होने के बावजूद भी पंडितजी पंडिताईन को जो कुछ भी कहते थे। पंडिताईन हमेशा उनके बात का उल्टा ही करती थी। फिर भी पंडितजी, पंडिताईन को कुछ भी नहीं कहते थे और हमेशा जब पति पत्नी की बातचीत में विवाद की स्थिति आती थी तो पंडितजी चुप हो जाते थे।

एक बार पंडित और पंडिताईन दोनों प्रयाग मेला देखने के लिए गए। पंडित जी बोले कि पहले नहा-धोकर पूजा पाठ कर लेते है तब मेला घुमेंगें पंडिताईन राजी हो गई। दोनों पति-पत्नी गंगा जी में स्नान करने गए। थोड़ी देर में पंडित जी स्नान करके निकलने लगे और पंडिताईन को बोले पंडिताईन गंगा की धार बहुत तेज है बाहर आ जाओ। पंडिताईन बोली आप कपड़ा बदलो, मैं आ रही हूँ। थोड़ी देर बाद पंडितजी ने देखा तो पंडिताईन वहाँ नहीं थी। वे पंडिताईन को जोर-जोर से बोलकर ढूंढने लगे, चिल्लाने लगे लेकिन पंडिताईन कहीं भी दिखाई नहीं दी। पंडितजी उन्हें ढूंढने के लिए गंगा की धारा के विपरीत दिशा की ओर दौड़कर जा रहे थे। रास्ते में एक व्यक्ति ने उनसे पूछा पंडितजी आप इधर दौड़कर कहाँ जा रहें है? क्या हुआ? आप परेशान क्यों है? पंडितजी ने कहा अरे! पंडिताईन गंगा जी में डूब गई है उन्हीं को ढूंढने जा रहा हूँ। उस व्यक्ति ने कहा पंडितजी आप पश्चिम दिशा कि ओर क्यों जा रहे हैं? गंगा की धारा तो पूरब की ओर बह रही है। पंडितजी झिझक कर बोले अरे तुम्हें पता नहीं पंडिताईन हमेशा उल्टा काम करती थी, निश्चित रूप से वह धारा के बिपरीत दिशा में ही गई होगी। इसलिए समय न बर्बाद करके मैं उनके स्वभाव के अनुरूप, नदी की धारा के विपरीत दिशा में ही उनको ढूँढने जा रहा हूँ। यह सुनकर वह व्यक्ति बोला कोई बात नहीं पंडितजी ये काम पंडिताईन का नहीं है कि वे उल्टा करेंगी। पंडिताईन अपने स्वभाव के अनुसार चाहे कुछ भी करें लेकिन नदी की धारा अपनी प्रकृति के अनुरूप ही चलेगी और नदी की धारा पूरब की ओर बह रही है। इसलिए समय व्यर्थ न करें हमलोग उन्हें ढूँढने के लिए पूरब की ओर चलें। फिर वे दोनों मिलकर पंडिताईन को ढूंढने के लिए पूरब दिशा में चले गए। कुछ दूर पर ही पंडिताईन उन्हें मिल गई। पंडिताईन को देखकर पंडितजी बहुत खुश हुए। तब पंडित जी को भी अपनी भूल का एहसास हुआ कि प्रकृति उनकी पत्नी के स्वभाव के अनुसार नहीं चलती बल्कि प्रकृति अपनी खुद की दिशा और गति से चलती है।

Language: Hindi
51 Views

You may also like these posts

ज़ख़्म ही देकर जाते हो।
ज़ख़्म ही देकर जाते हो।
Taj Mohammad
कलम
कलम
अखिलेश 'अखिल'
हाँ मैन मुर्ख हु
हाँ मैन मुर्ख हु
भरत कुमार सोलंकी
चिंता अस्थाई है
चिंता अस्थाई है
Sueta Dutt Chaudhary Fiji
असली अभागा कौन ???
असली अभागा कौन ???
VINOD CHAUHAN
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-152से चुने हुए श्रेष्ठ दोहे
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-152से चुने हुए श्रेष्ठ दोहे
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
"शब्द"
Dr. Kishan tandon kranti
शुभांगी छंद
शुभांगी छंद
Rambali Mishra
उसने बात समझी नहीं।
उसने बात समझी नहीं।
Rj Anand Prajapati
18. कन्नौज
18. कन्नौज
Rajeev Dutta
फिर किस मोड़ पे मिलेंगे बिछड़कर हम दोनों,
फिर किस मोड़ पे मिलेंगे बिछड़कर हम दोनों,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
23/129.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/129.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
हृदय की बेचैनी
हृदय की बेचैनी
Anamika Tiwari 'annpurna '
हर बात छुपाने की दिल से ही मिटा देंगे ....
हर बात छुपाने की दिल से ही मिटा देंगे ....
sushil yadav
..
..
*प्रणय*
दर जो आली-मकाम होता है
दर जो आली-मकाम होता है
Anis Shah
🌹थम जा जिन्दगी🌹
🌹थम जा जिन्दगी🌹
Dr .Shweta sood 'Madhu'
"शीशा और रिश्ता बड़े ही नाजुक होते हैं
शेखर सिंह
जीवन दर्शन
जीवन दर्शन
डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद
कि तुम मिलो तो सही...
कि तुम मिलो तो सही...
पूर्वार्थ
समय की बात है
समय की बात है
Atul "Krishn"
*रखिए एक दिवस सभी, मोबाइल को बंद (कुंडलिया)*
*रखिए एक दिवस सभी, मोबाइल को बंद (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
एक कमबख्त यादें हैं तेरी !
एक कमबख्त यादें हैं तेरी !
The_dk_poetry
जिंदगी की दास्तां,, ग़ज़ल
जिंदगी की दास्तां,, ग़ज़ल
Namita Gupta
जीवन पथ पर चलते जाना
जीवन पथ पर चलते जाना
नूरफातिमा खातून नूरी
अपनी झलक ये जिंदगी
अपनी झलक ये जिंदगी
Anant Yadav
Tumhara Saath chaiye ? Zindagi Bhar
Tumhara Saath chaiye ? Zindagi Bhar
Chaurasia Kundan
अभी अधूरा अभिनन्दन है
अभी अधूरा अभिनन्दन है
Mahesh Jain 'Jyoti'
नवरात्रि - गीत
नवरात्रि - गीत
Neeraj Agarwal
प्रेम-गीत
प्रेम-गीत
Shekhar Chandra Mitra
Loading...