पंछी ने एक दिन उड़ जाना है
पंछी ने एक दिन , उड़ जाना है
हाथ नहीं तेरे , कुछ आना है
कैसे रिश्ते, कैसे बंधन
साथ नहीं तेरे , कुछ जाना है
रिश्ता केवल एक बनाना
प्रभु संग प्रीत बढ़ाना है
क्यूं कर पाप कर्म को ढोए
संग तेरे कर्मों को जाना है
तेरा – मेरा इसमें न उलझना
साथ नहीं तेरे कुछ जाना है
अहं तुझ पर हावी न होवे
अगले पल का नहीं ठिकाना है
बँगला , गाड़ी सब रह जाएगा
क्यूं कर खुद को उलझाना है
क्यूं कर तन माटी हो जाए
सत्कर्म राह पर इसे लगाना है
सांस की डोर टूट कब जाए
क्यूं कर पीछे पछताना है
अनमोल वचन हो जाएँ धरोहर
ऐसा ही कुछ कर जाना है
संस्कार हो जाएँ धरोहर
सबसे प्रीति हमको निभाना है
मानवता की राह पर चलना
इसे ही अपना धर्म बनाना है
पर पीड़ा हो तेरी पीड़ा
मानवता को धर्म बनाना है
महल अटारी छूटेंगे सब
क्यूं कर खुद को उलझाना है
सत्कर्म हो जाएँ धरोहर
यही एक धन तो कमाना है
नयनों की कभी शर्म न खोये
क्यूं कर काम पिपासा ढोए
शरीर भी ज़र्ज़र हो जाना है
क्यूं कर धर्म परे जाना है
पंछी ने एक दिन , उड़ जाना है
हाथ नहीं तेरे , कुछ आना है
कैसे रिश्ते, कैसे बंधन
साथ नहीं तेरे , कुछ जाना है