पंचचामर छन्द
पंचचामर छन्द
121 212 12, 121 212 12
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सुमातु ज्ञान दीजिये, दयालु देवि शारदे।
मिटाय अंधकार को, सुवासिनी उबार दे।
जला सुदीप ज्ञान का, सुकंठ हँसवासिनी।
स्वभाव में मधुर्यता, रहे सदा सुवासिनी।
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नमामि मातु कालिके, प्रचंड दैत्य नाशिका।
विराट रूप धारिणी, सदा शिवाय साधिका।
महासुरे विदारती, पछाड़ती सहांरती।
सदैव माँ त्रिलोक की, सभी दुखे निवारती।
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अभिनव मिश्र अदम्य