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2 Jan 2021 · 1 min read

पंचचामर छन्द

पंचचामर छन्द
121 212 12, 121 212 12
??????????
सुमातु ज्ञान दीजिये, दयालु देवि शारदे।
मिटाय अंधकार को, सुवासिनी उबार दे।
जला सुदीप ज्ञान का, सुकंठ हँसवासिनी।
स्वभाव में मधुर्यता, रहे सदा सुवासिनी।
????????????
नमामि मातु कालिके, प्रचंड दैत्य नाशिका।
विराट रूप धारिणी, सदा शिवाय साधिका।
महासुरे विदारती, पछाड़ती सहांरती।
सदैव माँ त्रिलोक की, सभी दुखे निवारती।
????????????

अभिनव मिश्र अदम्य

Language: Hindi
2 Likes · 3 Comments · 1072 Views
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