पंखा आगए चीटियों को
प्राण मिल गए चीटियों को
पंखा आगए चीटियों को
भूमि की निर्माण बासी
जीव कि विनाश साथी
हर डगर , हर नगर में
मधु स्वाद तलाशती चीटियों को
कहीं जल में डूबकर तो
कहीं पांव के नीचे कुचल कर
प्राण गवाती चीटियों को
पहली बरसा जब है आती
जीवन मृत्यु सा लाती
चार पल के उड़ने का सुख
पंख उग आए चीटियों को
प्राण मिल गए चीटियों को
पंखा आगए चीटियों को