पंक्षी तेरे सबल पंख
पंक्षी तेरे सबल पंख
क्यों उडना भूल गया।
लक्ष्य नहीं पर राह बहुत है ।
सीधा चलता बिना बात के
मुडना भूल गया ।
क्यों उडना भूल गया ।
सब साधन तो तन्द्रा क्यों है
घोर निराशा चिंता क्यों है
सबल पांव सीढ़ियाँ सामने
चढना भूल गया ।
क्यों उडना भूल गया ।।
अंधकार यदि छाया है तो
सुखद सबेरा आया है
रजनी तो बीत गई फिर भी
क्यों जगना भूल गया
क्यों उडना भूल गया ।
अपनी शक्ति समझो ध्याओ
चलो प्रगति पथ पर आ जाओ
सब कुछ पास रहा फिर
क्यों बढना भूल गया ।
क्यों उडना भूल गया ।
विन्ध्य प्रकाश मिश्र विप्र