न हो अभ्यास तो
न हो अभ्यास तो ज्ञानी पुरूष अल्पज्ञ हो जाए
बिना गुरु ज्ञान के कैसे कोई सर्वज्ञ हो जाए
कृपा परमात्मा की उस जगह निशिदिन बरसती है
धरा वह धाम होती है जहाँ पर यज्ञ हो जाए
© शैलेन्द्र ‘असीम’
न हो अभ्यास तो ज्ञानी पुरूष अल्पज्ञ हो जाए
बिना गुरु ज्ञान के कैसे कोई सर्वज्ञ हो जाए
कृपा परमात्मा की उस जगह निशिदिन बरसती है
धरा वह धाम होती है जहाँ पर यज्ञ हो जाए
© शैलेन्द्र ‘असीम’