न है जब तेरे मिलन की आस चाहिए हमें नहीं मधुमास !
न है जब तेरे मिलन की आस
चाहिए हमें नहीं मधुमास !
खिलेंगे जब पतझड़ के फूल
चुभेंगे बनकर के नव शूल
भ्रमर की गुंजन धुन सुन पास
खोल देती कलिका दल न्यास
नहीं ये प्रीत नहीं परिहास
न है जब तेरे मिलन की आस
चाहिए हमें नहीं मधुमास !!
प्रीत गर तुमको है कोई भूल
झाड़ देना ज्यों लिपटी धूल
बनेंगे हम भूला इतिहास
बनो प्रियतम की प्रीत प्यास
प्रेम का मिले नया आकाश
नहीं जब तेरे मिलन की आस
चाहिए हमें नहीं मधुमास !!!