न हिन्दू मरा,न कोई मुसलमान,मरा है तो सिर्फ इंसान
ना कोई हिन्दू मरा
ना ही मरा है कोई मुसलमान
इतिहास गवाह है,
मरा है तो सिर्फ इंसान।
धर्म तो था,और रहेगा
नही रहेगा तो इसे
चलाने के लिए इंसान।
हर युद्ध दंगो का सदैव
एक ही रहा परिणाम
बलि इंसानों की चढ़ती रही,
रह गया धर्म का नाम।
नाम इंसान का भूल गए
धर्म बन गयी पहचान
कितने हिन्दू कितने मुस्लिम में
गिना जा रहा इंसान ।
भविष्य में जीवित रहेगा
तो वो होगा धर्म का नाम
शूली पर लटका होगा
तो वो होगा इंसान।
वो इंसान किसी का सहारा होगा
किसी की आँख का तारा होगा
किसी का सिंदूर होगा,तो
किसी का प्यारा होगा।
धर्म न ही किसी का सहारा होगा
न ही किसी की आंख का तारा होगा
और न ही किसी का प्यार होगा
और न ही इसे चलाने वाला इंसान होगा।
धर्म के लिए लड़ने वालों के लिए
दे रहा हूँ एक पैग़ाम।
न ही कोई धर्म श्रेष्ठ है
न हो कोई धर्म सर्वश्रेष्ठ ।
है तो ये सब एक समान
राह ही तो मात्र अलग है
मंजिल सबकी एक समान
धर्म ही आपसी भाईचारा बढाता
क्यों फिर सबसे अधिक ज्ञानी बनकर इंसान मूर्ख बन अपने अपने धर्म को सर्वश्रेष्ठ बताता।
सर्वश्रेष्ठ की चाह में
लाल मिटटी का रंग कर
इंसानियत की बलि चढ़ाता।
धर्मों की जीत में शर्मशार होती
इंसानियत का धर्म हार जाता
भूपेंद्र रावत
16।01।2017