न लाठी न डंडे न तलवार की।
गज़ल
122….122….122….12
न लाठी न डंडे न तलवार की,
करो बात गर तो करो प्यार की।
नहीं देख सकता मैं आँसू तेरे,
नहीं बात कोई है तकरार की।
मैं बाहों में लेके मना लूँगा अब,
करूंगा सभी बातें मनुहार की।
सही कोई खबरें हैं आती कहाँ,
हैं मजबूरियाँ कुछ तो अखबार की।
जो हो देश प्रेमी उसे प्यार दो,
जगह कोई होगी न गद्दार की।
घड़़ी दो घड़ी प्यार ही है बहुत,
जरूरत नहीं उम्र भर प्यार की।
बिके बैंक बीमा एयर इंडिया,
जरूरत है बस अब खरीदार की।
जो आँखों ही आँखों मे इकरार हो,
जरूरत नहीं कोई इजहार की।
दे घर बेंच मेरा वो रखवाल क्या,
जरूरत नहीं अब चौकीदार की।
बना ले प्रिये अपना प्रेमी मुझे,
मैं खुशियाँ तुझे दूंगा संसार की।
……✍️ प्रेमी