न रोके कोई, मुझे
न रोके कोई, मुझे कुछ करने से
न टोके कोई मुझे कुछ कहने से
प्रेम मेरा क्षणिक भी कम न होगा
यूँ कोसो दूर भी, तुझसे रहने से
कहा रोक पाया,अब तलक कोई
कसक,जज्बातों की हवा बहने से
सितम कर ले,मुझ पर जितने कोई
तू साथ हैं,तो दर्द न होगा सहने से
जम गया हैं दिल में, इश्क़ हिम सा
रोक न पाएगा तू भी,इसे पिघलने से
रेखा”कमलेश ”
होशंगाबाद मप्र