न मंजिल मिली।
दिखाके गगन के चमकते सितारे
सलीके से खुद को छले जा रहे हैं,
न मंजिल मिली न पता कोई इसका
न जाने कहाँ हम चले जा रहे हैं।
अनिल मिश्र प्रहरी।
दिखाके गगन के चमकते सितारे
सलीके से खुद को छले जा रहे हैं,
न मंजिल मिली न पता कोई इसका
न जाने कहाँ हम चले जा रहे हैं।
अनिल मिश्र प्रहरी।