न निकाह न फेरे
*** न निकाह न फेरे ***
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न निकाह न लिए हैं फेरे,
हुए हैं हम दिल से तेरे।
न बदला वादा न ईरादा,
तुम दिल मे बस्ते ही मेरे।
न कोई गिला रहा तुमसे,
मन में छाये हो बहुतेरे।
न दिखी मुख पर रुसवाई,
हँसते रहे शाम सवेरे।
न हुई हौंसला अफजाई,
सजते रहे ख्वाबों के बनेरे।
न ही कभी बजी शाहनाई,
तार जुड़े दिल के तेरे मेरे।
मनसीरत कुछ न कर पाया,
सदा के लिए लग गए डेरे।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)