— न जाने कैसे —
न जाने कैसे, कहाँ से,
किस जगह से निकल आते हैं
तेरे खजाने से यह अनमोल शब्द
जैसे व्याकुल से हो जाते हैं
बिना पिरोये , प्यासी मछली की तरह
खोजने के लिए
अन्तर्मन को खोजना जरुरी है
पर लिखने पर आओ तो
अनायास ही मिल जाए हैं
तेरे भेजे हुए अनमोल शब्द
दिल पर तरकश की तरह
घुमाव पैदा कर देते हैं
न जाने कहाँ से चले आते हैं
बड़े बड़े अनमोल यह शब्द।।
अजीत कुमार तलवार
मेरठ