नज़र में रौशनी है
नज़र में रौशनी है
वफ़ा की ताज़गी है
जियूँ चाहे मैं जैसे
ये मेरी ज़िंदगी है
ग़ज़ल की प्यास हरदम
लहू क्यों माँगती है
मेरी आवारगी में
फ़कत तेरी कमी है
इसे दिल में बसा लो
ये मेरी शायरी है
नज़र में रौशनी है
वफ़ा की ताज़गी है
जियूँ चाहे मैं जैसे
ये मेरी ज़िंदगी है
ग़ज़ल की प्यास हरदम
लहू क्यों माँगती है
मेरी आवारगी में
फ़कत तेरी कमी है
इसे दिल में बसा लो
ये मेरी शायरी है