#नज़राना
बेमतलब की ये ; सारी दुनियादारी है ।
तेरे एहसान मुझपे , जिन्दगी से भारी है ।
जिन्दगी की शामें तेरे आँचल में गुज़ारी है
नश्तर चुभोना उसमें ; क़यामत से भारी है ।
तू माँग ले ये ज़िस्म ,और ये जान तुम्हारी है
मंदिर में मेरे दिल के ; बस मूरत तुम्हारी है ।
मेरे ज़हनों-ज़िस्म में ; खुशबु तुम्हारी है ,
पास जो दिल के हो तो, ज़न्नत हमारी है ।
तेरे एहसान मुझपे , जिन्दगी से भारी है …….