नौ बजे नौ मिनट
कही “नौ बजे नौ मिनट ” किसी क्रान्ती का संकेत तो नही ।
जिंदगी,अंधेरी कोठरी और बेतहासा से लथपथ युवाओं के हौसले ,कही प्रकाश की किरणो में क्या अन्वेषण कर रही है , क्या पटरी से उतरी परिस्थितियों ने युवाओं के हौसले का दम घोट दिया ,जिसने शांतिनुमा क्रांति का रास्ता खोजा ।
जिस देश की गाथा कई विकसित व विकाशील देश गुनना रही, उसी देश के युवा ने क्या सोचा , की अब बहुत हुआ ।
कई वर्षो के युद्ध को झेल चुका भारत किन परिस्थितियों का मोहताज हो गया , की आज उसने गांधीवाधि विचारधारा छोड़ “स्टालिन – ट्रूमैन” की नीति अपनाई । क्या भारत नई इतिहास के तरफ बढ़ रहा है । क्या भारत वास्तव में लथपथ और बेसहारा हो गया है ।
तुर्की,यूनान ,रोम और दिल्ली सल्तनत के नवाब ” अलाउद्दीन खिलजी, बलबन,इल्तुतमिश, तुगलक, तथा फिरोजशाह तुगलक से क्या भारत ने कुछ नही सीखा ।
क्या भारत मुगलई सल्तनत के शहंशाह जलालुद्दीन अकबर के धम्म की नीति को भूल गया ।
क्या भारत करुणा,उदारता सहिष्णुता के स्तंभ पर टिकी अशोक की नीति को भूल गया । जो शांति और सद्भावना पर बल देती थी ।
क्या भारत औरगजेब के धर्मिक, आर्थिक कष्टों को सहना भूल गया ।
क्या भारत वो लम्हा भूल गया, जब एक माँ एक छटाँक चावल के लिए अपने बच्चे को बेच देती थी , क्या भारत जुर्म की वो दासता भूल गया जिसने कइयों के घर को बंजर बना दिया । क्या भारत ग़ांधी, भगत,चन्द्रशेखर ,नेहरू के विचारों को भूल गया , क्या यह वही भारत है जो अपने लोगो के लिए उपनिवेशवाद की परिभाषा को क्षण भंगुर कर दी थी । क्या भारत वास्तव में मानवेंद्र रॉय और सुभाष को भूल गयी ।
हा शायद भूल ही गयी ।
सोने की चिड़िया कहलाने वाली भारत , गंगा जमुना सरस्वती से बहनेवाले कंकर जो चीख चीख के शंकर के नाम को पुकारते , बंदिशों से आधुनिकता की गाथा लिखने वाली भारत , संस्कृति, और विरासतों का संगम भारत, मेलो ,त्यौहारो , और लोकनृत्यों, भिन्न लोकसंगीतो का भारत, आज क्यो लथपत और बेसहारा है ।
धैर्य है भारत ,आज युवा बेरोजगार है ।, क्यो आज भारत लथपथ है , क्या सरकार गलत है ,ह
या हमारी अपनी मंशा पुर्ण नही हुई ।
क्या संकेत क्रांति की तो नही, भनक ,खुशबू शायद ही भयावह स्थिति की है ।
क्या भारत इक़बाल के तराना” सारे जहां से अच्छा ” , क्या भारत बुद्ध और महावीर के मार्गो का अनुसरण कर रहा ,
क्या भारत की अर्थव्यवस्था टूटी हुई बेड की तरह चरमरा रही है , तो कुछ करते क्यो नही ।
क्या भारत केवल कहने में ही लोकतंत्र और अधिक जनसंख्या (second) वाली देश है ,
क्या युवा आज भी बेरोजगार है कल भी रहेंगे, और भविष्य में भी ,
क्या भारत वास्तव में लथपथ है ।
क्या भारत के लिए 2020 वास्तव में मनहूस है , क्या भारत के युवा ” नौ बजे नौ मिंनट ” की रुप रेखा शीत युद्ध के रूप में रेखंकित कर रहे हैं ।
क्या भारत की दशा शाहजहाँ के काल से भी बत्तर है ।
देखते हैं भविष्य में …..