नौजवान सुभाष
छल प्रपंचों की इस वेदी पर,
नया विश्वास जगाने आया हूं।
21वीं सदी के नौजवानों में,
फिर से सोया सुभाष जगाने आया हूं।
इतिहास के पन्नों में,
दबा दिया गया जिसका बलिदान।
जिनकी अमर त्याग से आज तक,
अखिल भारत रहा अंजान।
उस अमर हिंद पुत्र को खास बताने आया हूं,
21वीं सदी के नौजवानों में
फिर से सोया सुभाष जगाने आया हूं।
बल पौरुष तुम त्यागी महान,
नौजवानों के तुम नौजवान।
याद रखे जिसके बलिदान,
अखंड यह सारा हिंदुस्तान।
देशद्रोहियों में भी देश प्रेम का,
विश्वास जगाने आया हूं,
21वीं सदी के नौजवानों में,
फिर से सोया सुभाष जगाने आया हूं।
फौजी वर्दी में, सूट बूट में,
हाथों में थाम कर तलवार- म्यान।
विदेशी धरती में सदा रहा जिसके मस्तक में,
भारत का ही उज्जवल ध्यान।
उनके बलिदानों को आज खास बताने आया हूं
21वीं सदी के नौजवानों में,
फिर से सोया सुभाष जगाने आया हूं।
अपने बुलंद इरादों से जिसने,
कभी ना डूबने वाला सूरज डुबो दिया।
अपने दृढ़ संकल्पों से ऊंचे पर्वत को भी झुका दिया,
जय हिंद, जय हिंद की जयकारों से,
लंदन तक जिसने हिला दिया,
अंग्रेजी फौजियों को भी भय से थर्रा दिया।
वैसे सेनानी को सेनानियों में खास बताने आया हूं,
21वीं सदी के नौजवानों में,
फिर से सोया सुभाष जगाने आया हूं।