Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 Sep 2021 · 3 min read

नौकरी

आज 2 साल के बाद हमारा विद्यालय खुला हुआ है। मैं बच्चों के नामांकन में लगी हुई थी तभी तभी 60- 65 साल के व्यक्ति 3 बच्चों का नामांकन कराने के लिए विद्यालय में लेकर के आए । मैंने उनका नामांकन कर दिया और बातों-बातों में पता चला है कि वह मेरे पापा के सहपाठी रह चुके हैं और उनका नाम संपत है ।वे मेरे बारे में भी जानते हैं जैसे- मैं पहले शिक्षामित्र थी बाद में सहायक अध्यापक हो गयी।
उन्होंने बताया कि उनकी बहू भी शिक्षामित्र थी! यह कहते हुए उनके उनकी आंखों में आंसू भर गए मेरे बार-बार आग्रह करने पर उन्होंने बताना शुरू किया।

बात लगभग 25 साल पहले की है मेरा बेटा विनोद और मेरी बहू रानी दोनों एक ही साथ कक्षा आठ में पढ़े थे। फिर बेटे ने हाई स्कूल किया। हाई स्कूल पास करने के बाद से उसने पढ़ाई छोड़ दी। मैं खुद ग्रेजुएट हूं पर मुझे नौकरी ना मिली यह बात मेरे बेटे को लगी कि पिताजी को नौकरी नहीं मिली क्या होगा ज्यादा पढ़कर खैर।
मेरी बहू इंटर पास करके मेरे घर ब्याह कर आई मैंने उसे ग्रेजुएट कराया और 2004 में शिक्षा मित्र की नौकरी मिल गई नौकरी मिलने के कुछ दिनों बाद बहू को घमंड होने लगा। धीरे- धीरे उसके तेवर बदलने लगे। उसे लगने लगा कि मेरा पति कम पढ़ा- लिखा छोटा काम करता है और मैं एक अध्यापिका हूं ।वह लड़ाई झगड़ा कर अपने मायके में जाकर रहने लगी और वहीं से विद्यालय आने जाने लगी । सबके लाख समझाने के बाद भी बहू वापस आने को तैयार न हुई। मैं उदास घर आया और रोता रहा सोचता रहा कि मेरी बेटी नहीं है मैंने अपने बहू को बेटी की तरह समझ कर के उसे पढ़ाया । जब वह शिक्षामित्र की ट्रेनिंग कर रही थी रामपुर कारखाना (देवरिया) डायट पर तब वह फाइनल इम्तिहान में फेल हो गई थी ।मैं खुद जाकर डाइट में बैठकर उसका कापी लिखा तब जाकर वह पास हुई।

बात आगे बढ़ गई अंत में हार कर के पंचायत बुलाई गई और तलाक हो गया बहू का । मैं भरी सभा में रोता रहा और मुझे देखकर पंचों की भी आंखें डबडबा गई थी।

यह कहते हुए उनकी आंखों से आंसू बहने लगे मेरी आंखों में भी आंसू आ गए। मेरी उत्सुकता और बढ़ी।

उन्होंने बताया कि अर्जुनहा डायट (कुशीनगर)पर जाकर के
बालिका समन्वयक से उसका शिक्षामित्र पद निरस्त करा दिया। उस समय नियम था कि शिक्षामित्र उसी ग्राम सभा का निवासी होना चाहिए बहू का तलाक हो जाने से उसकी ससुराल की निवासी ख़त्म हो चुकी थी। निवासी ना होने की स्थिति में प्रधान और सचिव द्वारा उसका नवीनीकरण नहीं होता था।

उन्होंने अपने बेटे की दूसरी शादी करवा दी जिसके बच्चों का नामांकन मैंने किया है अपने स्कूल में।

बेटा की शादी हो जाने के बाद पहली बहू निवेदन करने लगी फिर वापस आने के लिए मैंने साफ मना कर दिया।

उसकी शादी दूसरे जगह हो गई जिसके यहां थोड़ी सी जमीन थी और उसका पति भयंकर शराबी रिक्शा चालक था जो कि एक्सीडेंट में अपंग हो गया है ।

आज की तारीख वह दूसरों के खेत में मजदूरी करती है तब जाके शाम का खाना बनता है ।

ये सब सुनकर मैं उदास हो गई मेरा मन शिक्षण कार्य में न लगा । मैं सोचती रही कि मनुष्य कितना स्वार्थी है दूसरों के बारे में जरा भी नहीं सोचना चाहता । खुदा को ये बिल्कुल पसंद नहीं यह बात हम इंसान बहुत अच्छे से जानते हैं। हम अपनों का नुकसान तो करते ही हैं अपना भी नुकसान कर बैठते हैं।
“मालिक कहते हैं कि तू नीचे वाले पर रहम कर मैं तुझ पर रहम करूंगा।”

नूर फातिमा खातून”नूरी “(शिक्षिका)
जिला- कुशीनगर
उत्तर प्रदेश

Language: Hindi
3 Likes · 1 Comment · 851 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
समंदर में नदी की तरह ये मिलने नहीं जाता
समंदर में नदी की तरह ये मिलने नहीं जाता
Johnny Ahmed 'क़ैस'
हुई नैन की नैन से,
हुई नैन की नैन से,
sushil sarna
नाम इंसानियत का
नाम इंसानियत का
Dr fauzia Naseem shad
"जिम्मेदारियाँ "
Dr. Kishan tandon kranti
अफसोस मेरे दिल पे ये रहेगा उम्र भर ।
अफसोस मेरे दिल पे ये रहेगा उम्र भर ।
Phool gufran
नाटक नौटंकी
नाटक नौटंकी
surenderpal vaidya
2797. *पूर्णिका*
2797. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
*BOOKS*
*BOOKS*
Poonam Matia
दोहा निवेदन
दोहा निवेदन
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
*छोड़कर जब माँ को जातीं, बेटियाँ ससुराल में ( हिंदी गजल/गीति
*छोड़कर जब माँ को जातीं, बेटियाँ ससुराल में ( हिंदी गजल/गीति
Ravi Prakash
#सामयिक_विमर्श
#सामयिक_विमर्श
*प्रणय*
बदलने लगते है लोगो के हाव भाव जब।
बदलने लगते है लोगो के हाव भाव जब।
Rj Anand Prajapati
शिक्षा और संस्कार जीवंत जीवन के
शिक्षा और संस्कार जीवंत जीवन के
Neelam Sharma
कोंपलें फिर फूटेंगी
कोंपलें फिर फूटेंगी
Saraswati Bajpai
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
रात नहीं सपने बदलते हैं,
रात नहीं सपने बदलते हैं,
Ranjeet kumar patre
हम पर कष्ट भारी आ गए
हम पर कष्ट भारी आ गए
Shivkumar Bilagrami
हे राम तुम्हारा अभिनंदन।
हे राम तुम्हारा अभिनंदन।
सत्य कुमार प्रेमी
बेटी हूं या भूल
बेटी हूं या भूल
Lovi Mishra
मन को भिगो दे
मन को भिगो दे
हिमांशु Kulshrestha
ਅੱਜ ਕੱਲ੍ਹ
ਅੱਜ ਕੱਲ੍ਹ
Munish Bhatia
अकेले हुए तो ये समझ आया
अकेले हुए तो ये समझ आया
Dheerja Sharma
मैं रात भर मैं बीमार थीऔर वो रातभर जागती रही
मैं रात भर मैं बीमार थीऔर वो रातभर जागती रही
Dr Manju Saini
सलाम
सलाम
Dr.S.P. Gautam
*मनः संवाद----*
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
मंत्र: वंदे वंछितालाभाय चंद्रार्धकृत शेखराम् । वृषारूढाम् शू
मंत्र: वंदे वंछितालाभाय चंद्रार्धकृत शेखराम् । वृषारूढाम् शू
Harminder Kaur
तुम में और मुझ में कौन है बेहतर
तुम में और मुझ में कौन है बेहतर
Bindesh kumar jha
प्यासा के हुनर
प्यासा के हुनर
Vijay kumar Pandey
समस्याओं के स्थान पर समाधान पर अधिक चिंतन होना चाहिए,क्योंकि
समस्याओं के स्थान पर समाधान पर अधिक चिंतन होना चाहिए,क्योंकि
Deepesh purohit
मुक्तक
मुक्तक
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
Loading...