*नौकरपेशा लोग रिटायर, होकर मस्ती करते हैं (हिंदी गजल)*
नौकरपेशा लोग रिटायर, होकर मस्ती करते हैं (हिंदी गजल)
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1)
नौकरपेशा लोग रिटायर, होकर मस्ती करते हैं
या शायद खाली-खाली दिन, उनको बहुत अखरते हैं
2)
सोच रहे जो साठ साल के, बाद रहेंगे बढ़िया-से
उनके अंतिम दिन रो-रोकर, अक्सर बुरे गुजरते हैं
3)
समय काटने की तरकीबें, बूढ़े लोग लगाते हैं
व्यर्थ इधर से उधर हमेशा, सारे समय विचरते हैं
4)
अर्थव्यवस्था जिस घर की भी, ढहती है कारण जो हो
बहुत समय के बाद वहॉं के, जन फिर कभी उबरते हैं
5)
मिलता है परलोक सुखों का, केवल किस्मत वालों को
पुण्यों की नौका पर चढ़कर, भवसागर वह तरते हैं
6)
लोभ-मोह की हथकड़ियों से, बॅंधी नहीं जिनकी जिह्वा
सच कहने से खुले मंच पर, कभी नहीं वह डरते हैं
7)
जंगल ही में शेर दहाड़ा, सर्कस में मिमियाएगा
बिना परिश्रम खाने वाले, जग में यों ही मरते हैं
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451