नोटबंदी का जहाँ कई लोग विरोध करते थकते नहीं हैं।…
नोटबंदी का जहाँ कई लोग विरोध करते थकते नहीं हैं। गरीबों के हित की चिंता कर सरकार की अलोचना करने में लगे रहते हैं। वहीं गाँव-टोलों में इसका असर बहुत कम दिख रहा है, थोड़ी बहुत दिक्कत है भी तो पैसे वालों को। पैसे भजाने में या निकालने में उन्हें भी गरीब-गुरबों की तरह थोड़ी बहुत ही सही, मशक्कत करनी पड़ती है। आम आदमी, गरीब आदमी तो सदियों से मशक्कत करते आया है। उन्हें तो इस नोटबंदी या नोटबंदी के पहले के दिनों में कोई खास फर्क नजर नहीं आ रहा है।
इस बीच गांव में पहले की तरह गांव घर में चलने वाली वस्तु विनिमय प्रणाली और जोर पकड़ने लगा है।
इससे भी बढ़कर अब तो गांव घरों में भी दुकानदारों द्वारा कार्ड स्वैपिंग मशीन रखा जाने लगा है, जिससे कार्ड धारक उपभोक्ताओं को भी सामान क्रय करने में ज्यादा परेशान नहीं होती है। अपितु कई लोग जानकारी के अभाव में तकनीक के उपयोग से हिचकिचाते हैं, जिसके चलते ऐसे लोगों के समक्ष परेशानियाँ बरकरार है।
दरअसल जो काम पूर्ववर्ती सरकारों को करना चाहिये वो काम अभी की सरकार कर रही है। यदि पूर्ववर्ती सरकारों द्वारा तकनीक के इस्तेमाल पर जोर दिया जाता तो आज इन कठिनाईयों का सामना नहीं करना पड़ता। अन्य विकसित देशों की सरकारों की कार्यशैलियों से हम सीख सकते हैं। ये तो शुक्रिया है कि वर्तमान सरकार लोगों को नोटबंदी के बहाने दुनियां के साथ चलने के प्रेरित कर रही है।