नेह लुटाती चाँदनी
शीतल, उज्जवल रश्मियाँ, बरसे अमृत धार।
नेह लुटाती चाँदनी, कर सोलह श्रृंगार।।
शरद पूर्णिमा रात में, खिले कुमुदनी फूल।
रास रचाए मोहना, कालिंदी के कूल।।
सोलह कला मयंक की, आश्विन पूनो ख़ास।
उतरी धरा पर माँ श्री, आया कार्तिक मास।।
लक्ष्मी की आराधना, अमृतमय खीर पान।
पूर्ण हो मनोकामना, बढे मान-सम्मान।।
© हिमकर श्याम