नेह का आभास, प्रतियोगिता के लिए
गीत देखकर प्रतिबिम्ब..
देखकर प्रतिबिंब नभ का, नेह का आभास होगा
इस ह्र्दय रूपी नदी को प्रेम पर विश्वास होगा
मैं निडर हो प्रेम पथ पर आ गई तेरे लिए जब
किसलिए मेरा समर्पण फिर कहो उपहास होगा .
छोड़कर कर्तव्य अपने है बहुत आसान जाना
मानकर संघर्ष जीवन पर कठिन उनको निभाना
साथ तेरे हमसफर होगा प्रकाशित ये तिमिर भी ..
गर्व से ऊंचा रहेगा साथ चल मेरा ये सर भी..
पथ कठिन कंचन लगे चाहे हमें वनवास होगा
देखकर प्रतिबिंब नभ का नेह का आभास होगा…इस ह्रदय रूपी नदी को…
मैं सिया सी चल पढ़ूंगी राम बन तुम साथ चलना
अनगिनत पीड़ा सहूंगी किंतु मेरा मन न छलना.
याचना के स्वर सुनो तो द्वार मन के खोल देना
मौन प्रश्नों को समझना और उत्तर बोल देना .
प्रेम अपना तब यहां विस्तृत अभय आकाश होगा
देखकर प्रतिबिंब….
आज से ही अब हमें है नेह के कुछ बीज बोने
सात फेरे ये हमारे मन के पावन से बिछौने
ये वचन अविराम जिनकी साक्ष्य यह ज्वाला बनी है.
हर परीक्षा में खरी होकर, गले माला सजी है
इस परीक्षा से हमें न अब कभी अवकाश होगा ..
देखकर प्रतिबिंब नभ का…नेह का आभास होगा इस ह्रदय रूपी नदी को प्रेम पर विश्वास होगा
मनीषा जोशी..