नेता
राजनीति तो
खलनायकों
का घर है।
नेता बनकर
इनको किसका
डर है।
सत्ता पाकर के
अपराधी बन जाते
नैतिकता वाहक
उनके सर पर
होता इक
कृपानिधान
कल के
मसखरे
बन जाते
महान
लगते
चतुर सुजान
गद्दी को
पाने की
दौड लगी है।
जनता बेचारी
कब पहचान सकी है।
डा. पूनम पांडे